चार देशों की नौसेना, 70 घंटे और यूं बचाई भारत के जांबाज नौसैनिक अभिलाष टोमी की जान
अफ्रीकी देश मिस्र में प्राचीन काल से ही ऐसी मान्यता है कि ओसिरिस पुर्नजन्म के देवता हैं। मिस्र की यह मान्यता भारतीय नौसेना के सेलर अभिलाष टोमी के लिए सच साबित हुई। भारत से करीब 5 हजार किलोमीटर दूर हिंद महासागर में समुद्र की ऊंची-ऊंची लहरों के बीच करीब 70 घंटे तक चोटिल अवस्था में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद कमांडर अभिलाष टॉमी को सोमवार को बचा लिया गया।
गोल्डन ग्लोब रेस के भारतीय प्रतिनिधि कमांडर अभिलाष टोमी समुद्री तूफान में फंस गए थे और उनका लकड़ी का बना जहाज बुरी तरह से बर्बाद हो गया था। इस दौरान वह चोटिल भी हो गए थे। दुनिया के सुदूरवर्ती इलाके में फंसे टोमी ने इसकी सूचना रेस के आयोजकों को दी। इसके बाद फांसीसी नौसेना के जहाज ओसिरिस ने सबसे पहले टोमी को ढूंढ निकाला।
When we spotted #AbhilashTomy. Video display from @indiannavy P-8I yday. pic.twitter.com/WRBN8X8U97
— Sandeep (@SandeepUnnithan) September 24, 2018
इसके बाद चार देशों की नौसेना के मदद से करीब 70 घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद टोमी को बचा लिया गया। 39 वर्षीय टोमी की दो पाल वाली नौका ‘थूरिया’ कन्याकुमारी से करीब 5 हजार किमी और ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट से करीब 3 हजार किमी दूर तूफान में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। टोमी पहले ऐसे भारतीय और दूसरे एशियाई हैं जो बिना की किसी मदद के अकेले दुनिया का चक्कर लगाने के लिए अकेले इस रेस में निकले थे।
READ MORE: कौन है मार्शल अर्जन सिंह, क्यों मनाया जाएगा उनके जन्म दिन पर National Aviation Day
ग्लोब रेस के तहत फ्रांस के लिए हुए थे रवाना
गत एक जुलाई को 2018 गोल्डन ग्लोब रेस के तहत फ्रांस के लिए रवाना हुए थे। पूरी मेडिकल जांच के बाद उन्हें फ्रांसीसी द्वीप पर ले जाया गया था। यह रेस वर्ष 1968 में इसी नाम से आयोजित एक प्रतियोगिता की याद में आयोजित किया जाता है। टोमी की नाव थूरिया को साधारण नाव नहीं थी। थूरिया वर्ष 1968 में यह रेस जीतने वाले रॉबिन नॉक्स की नाव सुहैली की रेप्लिका है।
सुहैली का निर्माण मुंबई में हुआ था जबकि थूरिया का निर्माण गोवा में हुआ था। इस प्रतियोगिता में कुल 18 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं और उन्हें वर्ष 1968 तक बनी तकनीकों की मदद से ही यह यात्रा पूरी करनी है। हरेक नाविक के पास मात्र एक संचार उपकरण ही है। प्रत्येक प्रतिभागी को भोजन के एक हजार पैकेट दिए गए हैं। टोमी के पास 140 लीटर पीने का पानी था।
समुद्र में उठ रही थीं 14 मीटर ऊंची लहरें
दो सितंबर को टोमी ने केप ऑफ गुड होप का चक्कर लगाया और 21 सितंबर को टोमी और आयरलैंड के एक नाविक तूफान की चपेट में आ गए। इस दौरान 130 किमी की रफ्तार से हवाएं चल रही थीं और समुद्र में 14 मीटर ऊंची खतरनाक लहरें उठ रही थीं। टोमी का संचार उपकरण टूट गया था लेकिन उन्होंने लिखित संदेश भेजकर बताया कि उनकी नाव क्षतिग्रस्त हो गई है और उनकी पीठ में चोट लगी है।
इस संदेश के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राहत और बचाव अभियान शुरू हुआ। इसमें भारत, मॉरिशस, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना ने हिस्सा लिया। कड़ी मशक्कत के बाद फ्रांसीसी गश्ती नौका ओसिरिस टोमी के पास पहुंची और उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद स्ट्रेचर लिटाया गया और हवाई मार्ग से मॉरिशस ले जाया गया। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा, ‘राहत की सांस महसूस कर रही हूं। कमांडर अभिलाष टोमी को फ्रेंच फिशिंग जहाज के जरिए सुरक्षित निकाल लिया गया है। वह सचेत हैं और अच्छा महसूस कर रहे हैं।
A sense of relief to know that naval officer @abhilashtomy is rescued by the French fishing vessel. He's concious and doing okay. The vessel will shift him to a nearby island (I'lle Amsterdam) by evening. INS Satpura will take him to Mauritius for medical attention. @PIB_India
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) September 24, 2018
READ MORE: Navy Day: 4 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है नौसेना दिवस?
इस अभियान की आॅस्ट्रेलियाई एयरफोर्स के पी8 ओरियन और भारतीय नौसेना के लंबी दूरी के पी-8 आई विमानों ने निगरानी की। ये विमान थूनिया के चक्कर लगा रहे थे ताकि वह आंखों से ओझल न हो जाए। भारतीय नौसेन के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने कहा, ‘भीषण तूफान और बारिश के बाद भी पी-8 आई पहला विमान था जो टोमी तक पहुंचा।’ भारत का युद्धपोत आईएनएस सतपुणा भी इस इलाके में था और वह भी मॉरिशस के लिए रवाना हो गया है।
कौन हैं कमांडर अभिलाष
कमांडर अभिलाष टोमी भारतीय नौसेना में कमांडर हैं। मूल रूप से मुंबई के रहने वाले अभिलाष ने गोवा यूनिवर्सिटी से साइंस में बैचलर की डिग्री ली है। 2000 में वह नौसेना में भर्ती हुए और 18 साल से वे भारतीय नौसेना के साथ हैं। सेना में कमांडर होने के आलावा अभिलाष रेकॉन पायलट और नाविक भी हैं। उन्होंने अकेले समुद्र मार्ग से पूरी दुनिया का चक्कर लगाया है। वह कीर्ति चक्र से सम्मानित हैं और दुनियाभर के कई संस्थानों में मोटिवेशनल व्याख्यान भी देते हैं।